Popular Horoscope & Kundali Reports |
Popular Horoscope & Kundali Reports |
The best kundli software is an identity of the best Astrologer! Get accurate and comprehensive calculations instantly. Available in various modules, LeoStar series is here to survive as No. 1 today and in the years yet to come! Buy the best kundli software at unbelievable prices now!
0 Comments
मानव जीवन का परम लक्ष्य ईश्वर प्राप्ति या आत्मसाक्षात्कार है। हालांकि यह एक दुर्लभ और कठिन प्रक्रिया है, लेकिन ज्योतिष शास्त्र हमें कुछ ऐसे योग बताता है जो इस दिव्य लक्ष्य की प्राप्ति में सहायक होते हैं। ये योग व्यक्ति की जन्मकुंडली में विद्यमान होते हैं और आध्यात्मिक यात्रा के लिए प्रेरणा देते हैं।
Read More: https://www.futuresamachar.com/hi/astrology-and-realization-of-god-1288 कृष्णमूर्ति पद्धति एक प्राचीन ज्योतिष विधि है जिसका प्रयोग कृष्णमूर्ति पद्धति से फलकथन के लिए किया जाता है। इस पद्धति में ग्रहों की स्थिति, नक्षत्रों की गणना और विशेष संख्याओं का मिलान कर भविष्य के बारे में भविष्यवाणी की जाती है। यह विधि अपने सटीक परिणामों के लिए प्रसिद्ध है।
कृष्णमूर्ति पद्धति का नाम स्वयं महर्षि कृष्णमूर्ति के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने इस विधि को विकसित किया था। महर्षि ने अपने दीर्घकालिक अनुभव और गहरी बुद्धि के आधार पर इस पद्धति को सिद्ध किया था। वे अंतरिक्ष और ग्रहों के गतिविधि के प्रति गहरी समझ रखते थे। इस पद्धति में, व्यक्ति का जन्मपत्रिका अध्ययन किया जाता है और फिर विभिन्न ग्रहों की गति, नक्षत्रों की स्थिति आदि पर विचार किया जाता है। इन विभिन्न तत्वों का गणितीय मिलान किया जाता है और सटीक गणनाओं के आधार पर भविष्य की घटनाओं का अनुमान लगाया जाता है। कृष्णमूर्ति पद्धति सिर्फ भविष्य की घटनाओं की भविष्यवाणी नहीं करती बल्कि जीवन की विभिन्न चुनौतियों और उनके समाधानों के बारे में भी बताती है। इससे व्यक्ति अपने जीवन को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है। आज के समय में कृष्णमूर्ति पद्धति को कई ज्योतिषी अपनाते हैं और लोग अपने भविष्य को जानने के लिए इस पद्धति का सहारा लेते हैं। यह प्राचीन ज्ञान आधुनिक समय में भी प्रासंगिक बना हुआ है। Read More: https://www.futuresamachar.com/hi/krishnamurthi-system-6324 ज्योतिष शास्त्र में, ग्रहों को उनके प्रभाव के आधार पर तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है - कारक ग्रह, अकारक ग्रह और मारक ग्रह। यहां हम समझेंगे कि कारक ग्रह किसे कहते हैं और इन तीनों प्रकारों के बीच का अंतर।
कारक ग्रह किसे कहते हैं? कारक ग्रह वे ग्रह होते हैं जो किसी व्यक्ति की कुंडली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और उनकी जीवन की विभिन्न घटनाओं को प्रभावित करते हैं। ये ग्रह व्यक्ति के जीवन के लिए शुभ परिणाम लाते हैं और उनकी इच्छाओं को पूरा करने में मदद करते हैं। कारक ग्रह सौभाग्य, धन, संतान, शिक्षा, करियर आदि जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को संचालित करते हैं। अकारक ग्रह अकारक ग्रह वे होते हैं जो न तो शुभ होते हैं और न ही अशुभ। ये ग्रह व्यक्ति के जीवन में न्यूटलिटी लाते हैं और उनके प्रभाव को कम करते हैं। हालांकि, अकारक ग्रहों के उपयुक्त योग और गोचर स्थितियों में, वे शुभ परिणाम दे सकते हैं। मारक ग्रह जैसा कि नाम से पता चलता है, मारक ग्रह व्यक्ति के जीवन में विघ्न डालते हैं और कष्ट पहुंचाते हैं। ये ग्रह नकारात्मक शक्तियों को प्रतिनिधित्व करते हैं और व्यक्ति के लिए बाधाएं और चुनौतियां पैदा करते हैं। हालांकि, मारक ग्रहों के शुभ योग और गोचर स्थितियों में, उनके प्रभाव को कम किया जा सकता है। कुंडली विश्लेषण में, ये तीनों प्रकार के ग्रह महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। एक सिद्धांत यह है कि कुंडली का संतुलन बनाए रखना महत्वपूर्ण है, जिससे कारक ग्रहों के शुभ प्रभाव को अधिकतम करने और अकारक व मारक ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों को न्यूनतम करने में मदद मिलती है। Read More: https://www.futuresamachar.com/hi/karak-akarak-and-marak-planets-in-horoscope-6854 शनि और करियर: शनि ग्रह से संबंधित व्यवसाय
शनि को ज्योतिष शास्त्र में परिश्रम, अनुशासन और धैर्य का प्रतीक माना जाता है। इसलिए, शनि ग्रह से जुड़े व्यवसाय में मेहनत, लगन और धैर्य की आवश्यकता होती है। कुछ व्यवसाय जिन्हें शनि से संबंधित माना जाता है, वे हैं:
Read More: https://www.futuresamachar.com/hi/saturn-and-career-6677 रोजगार एवं धन प्राप्ति के सरल उपाय
अपना व्यवसाय खड़ा करना और उसे सफलतापूर्वक चलाना आसान नहीं होता। लेकिन कुछ ऐसे रोजगार चलाने के उपाय हैं जिनसे इस लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। सर्वप्रथम, अपने व्यवसाय के लिए एक स्पष्ट योजना बनाएं। अपने लक्ष्य और उद्देश्यों को परिभाषित करें और उन्हें प्राप्त करने के लिए आवश्यक कदमों की रूपरेखा तैयार करें। एक अच्छी व्यावसायिक योजना आपको दिशा प्रदान करेगी और संसाधनों के उचित उपयोग में मदद करेगी। दूसरा, अपने ग्राहकों की जरूरतों और चाहतों को समझें। उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप अपने उत्पादों या सेवाओं को ढालें। ग्राहकों से नियमित प्रतिक्रिया लें और उनकी प्रतिक्रियाओं के आधार पर आवश्यक बदलाव करें। तीसरा, अपनी मार्केटिंग रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करें। सोशल मीडिया, विज्ञापन और मुंह-मुहाना प्रचार के माध्यम से अपने ब्रांड की पहुंच बढ़ाएं। इससे आपके उत्पादों और सेवाओं के बारे में जागरूकता बढ़ेगी। चौथा, अपने व्यवसाय में नवीनता और प्रौद्योगिकी को शामिल करें। समय के साथ बदलते ट्रेंड और तकनीकों पर कदम रखें। यह आपके व्यवसाय को अग्रणी बनाए रखने में मदद करेगा। अंत में, धैर्य रखें और लगातार प्रयास करते रहें। सफलता एक रात में नहीं आती। कठिन परिश्रम, लचीलापन और दृढ़ निश्चय से आपका व्यवसाय धीरे-धीरे बढ़ेगा और आपको रोजगार और धन प्राप्ति के लिए सरल उपाय प्रदान करेगा। इन रोजगार चलाने के उपायों को अपनाकर, आप अपने व्यवसाय को सफलता की ओर ले जा सकते हैं और एक स्थायी आय स्रोत सुनिश्चित कर सकते हैं। Read More: https://www.futuresamachar.com/hi/employment-and-simple-remedy-to-get-the-money-1309 कारकांश कुंडली क्या होती है?
कारकांश कुंडली एक विशेष प्रकार की जन्मकुंडली है जिसमें कारकांश लग्न के आधार पर फलकथन किया जाता है। यह एक पुरानी परंपरा है जो वैदिक ज्योतिष शास्त्र से ली गई है। कारकांश लग्न वह लग्न बिंदु होता है जिससे सभी ग्रहों के कारक अर्थात् फलादेश निर्धारित किए जाते हैं। कारकांश लग्न द्वारा फलकथन कारकांश लग्न द्वारा फलकथन एक अनूठा और गहन विधि है। इसमें सबसे पहले कारकांश लग्न की गणना की जाती है। यह मूल लग्न से कुछ अंश आगे या पीछे होता है। फिर इस कारकांश लग्न से सभी ग्रहों के कारक बनाए जाते हैं। इन कारकांशों पर विशेष महत्व दिया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि कारकांश लग्न मिथुन राशि में है तो वृषभ राशि से पुत्र कारक बनेगा, मिथुन से धन कारक और इसी प्रकार आगे बढ़ते हुए। इन कारकों के आधार पर व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पक्षों जैसे संतान, धन, वैवाहिक जीवन आदि का फलादेश किया जाता है। इस प्रकार कारकांश लग्न फलित कुंडली कहीं अधिक गहन और विस्तृत होती है। इसमें व्यक्ति के भाग्य की सटीक भविष्यवाणी की जाती है। हालांकि यह जटिल विधि है और इसके लिए गहन ज्ञान एवं अनुभव की आवश्यकता होती है। Read More: https://www.futuresamachar.com/hi/by-ascendant-karkans-flkthan-5344 हिंदू जन्म कुंडली में अष्टम भाव का विशेष महत्व है। यह मृत्यु, आत्मिक शक्तियों और गहन बदलावों से संबंधित माना जाता है। इस भाव में चंद्र की स्थिति व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव डालती है। हालांकि, इसे सावधानीपूर्वक समझना महत्वपूर्ण है क्योंकि गलतफहमी से भय और चिंता का माहौल बन सकता है।
"भयभीत न हों अष्टम चंद्र से" अष्टम भाव में चंद्र (अष्टम भाव में चंद्र और मृत्यु) की उपस्थिति को अक्सर दुर्भाग्यपूर्ण और खतरनाक माना जाता है। लेकिन यह सिर्फ एक पुरानी धारणा है। वास्तव में, यह स्थिति व्यक्ति को गहन आध्यात्मिक अनुभव और आंतरिक शक्ति प्रदान करती है। ऐसे लोग अपने आप को बदलने और नए सिरे से शुरू करने की क्षमता रखते हैं। उनमें दूरदर्शिता और बुद्धिमत्ता होती है। हालांकि, इस स्थिति से जुड़े कुछ संघर्ष और चुनौतियां भी हो सकती हैं। लेकिन यदि व्यक्ति सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाता है और आंतरिक शक्ति पर विश्वास करता है, तो वह इन चुनौतियों पर काबू पा सकता है। आत्म-विश्वास और धैर्य बनाए रखना महत्वपूर्ण है। निष्कर्षतः, अष्टम चंद्र से भयभीत होने की कोई आवश्यकता नहीं है। यह केवल एक अवसर है जिसे सही तरीके से समझा और उपयोग किया जाना चाहिए। आध्यात्मिक यात्रा और आंतरिक शक्ति का लाभ उठाएं। चुनौतियों का सामना करें और उनसे सीखें। आपके भीतर छुपी असीम क्षमताओं को पहचानें और उन्हें विकसित करें। Read More: https://www.futuresamachar.com/hi/bhayabheet-na-hon-ashtam-chandra-se-1085 मंगला गौरी मंत्र एक प्राचीन और शक्तिशाली मंत्र है जिसका उच्चारण महिलाओं द्वारा विशेष अवसरों पर किया जाता है। यह मंत्र माता परमेश्वरी की विभिन्न शक्तियों को आह्वान करता है और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने में सहायता करता है।
मंगला गौरी मंत्र में कहा गया है: "ऊँ ह्रीं श्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नमः गर्भगेहे मनोरमा यत्र नारी सुरक्षिता। तस्यै मंगलगौर्यै नमः॥" इस मंत्र का अर्थ है - "हे चामुण्डा देवी, मैं तुम्हें प्रणाम करता हूं। हे गर्भगेह में निवास करने वाली मनोरम देवी, जहां महिलाएं सुरक्षित रहती हैं, उस मंगला गौरी को मेरा प्रणाम।" मंगला गौरी मंत्र को विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं द्वारा जपा जाता है ताकि प्रसव के समय सुरक्षा और आशीर्वाद मिल सके। इसके अलावा, विवाहित महिलाएं भी इस मंत्र का जाप करती हैं ताकि उनके परिवार में खुशहाली और समृद्धि आए। कई लोग मंगला गौरी मंत्र को एक दिन में 108 बार जपने की सिफारिश करते हैं। इसे जपने से पहले स्नान करना और पवित्र वस्त्र पहनना महत्वपूर्ण माना जाता है। मंत्र जाप के दौरान, एक दीपक जलाया जाता है और माला का उपयोग किया जाता है। मंगला गौरी मंत्र की शक्ति का सम्मान करते हुए, इसे विनम्रतापूर्वक और एकाग्रचित मन से जपना चाहिए। इससे न केवल आध्यात्मिक लाभ मिलता है, बल्कि जीवन में शांति, समृद्धि और आनंद भी आता है। Read More: https://www.futuresamachar.com/hi/shree-mangala-gauri-mantra-2076 हिन्दू धर्म में जन्मकालिक संस्कारों का महत्वपूर्ण स्थान है। इनमें से एक है "बच्चे की छठी पूजन विधि"। यह एक प्राचीन परंपरा है जिसमें माता-पिता अपने नवजात शिशु की लंबी आयु और कल्याण की कामना करते हैं।
इस विधि में, जन्म के छठे दिन माता-पिता पूजा करते हैं और देवताओं से बच्चे के स्वास्थ्य और समृद्धि की प्रार्थना करते हैं। पूजा के दौरान, माता बच्चे को गोद में लेती है और पिता मंत्रोच्चार करते हुए तिलक लगाते हैं। इसके बाद, बच्चे का नाम रखा जाता है और उसे मिठाइयां खिलाई जाती हैं। कुछ क्षेत्रों में, माता भी सात दिनों तक पवित्र रहती है और पूजा में भाग लेती है। इस अवसर पर, रिश्तेदारों और दोस्तों को भी आमंत्रित किया जाता है और उन्हें प्रसाद वितरित किया जाता है। "बच्चे की छठी पूजन विधि" न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह नए माता-पिता और उनके परिवार के लिए एक खुशी का अवसर भी है। इससे बच्चे को आशीर्वाद मिलता है और उसके भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी जाती हैं। Read More: https://www.futuresamachar.com/hi/birth-sanskar-for-child-4777 |
AuthorWrite something about yourself. No need to be fancy, just an overview. Archives
April 2024
Categories |